नव वर्ष मंगलमय हो
“Happy New year”
(Hindi Poetry Turaaz)
नए साल की शुभ प्रभा की
मंगल रश्मियां उमड़ पड़ी हैं
देखो नए ही पल की
शुरुआत हुई है
कलरव में गाते पक्षी
वाणी वीणा की सी बजती
मधुर गुंजन करते भौंरे
मंडराती तितली फूलों पर
नए साल की शुभ प्रभा की
मंगल रश्मियां उमड़ पड़ी हैं
नृत्य सा करता माधो,
देखो नन्हें से पग भरता
दरवाजे पर दस्तक देता
बंसी जैसे कानों में बजती
नव वर्ष के नए पल की
शुरुआत हुई
जगमग जगमग करता सा
जीवन जलता है बुझता है
अपने ही अंतरतम में पल पल,
सांसों में आता है जीवन
सांसों से ही निकल जाता है
नए वर्ष के पावन पग को
देहली पर पड़ जाने दो
घुल मिल जाने दो
प्राणों में इसको
सब नूतन कर जाने दो
नई किरण, नई आशा
नया विश्वास लिए
अब हमने प्रण कर डाला है
जीवन को बेहतर जीने का
निश्चय ले डाला है।
कुछ नए अर्थ लिए ही
अब हमने जीवन जीना है
बुद्धों की शिक्षा को
जीवन में आगे रखना है
मुक्ति पथ पर आगे को
बढ़ते ही जाना है
शाश्वत सत्य को
अपने ही घट में
रौशन कर लेना है
तुराज़……