दृढ़ निश्चय “Determination” (Hindi Poetry)

दृढ़ निश्चय “Determination” (Hindi Poetry)

दृढ़ निश्चय

“Determination”

(Hindi Poetry)

 

निष्काम रह सकूं

कर सकूं पूजा अर्चना

सम्मान कर सकूं सभी का

इतनी समझ, शुद्धि और बुद्धि दे….

 

 

मैं विकसित हो सकूं

स्वीकृत हो सकूं द्वार पर

आलिंगन कर सकूं यथार्थ को

जी सकूं मान अपमान

को सह सकूं

इतनी समझ शुद्धि और बुद्धि दे…..

 

 

कर सकूं तन मन को निर्मल

उठ सकूं व्योम को छू सकूं

निश्चल निष्कपट हो जी सकूं

इतनी समझ शुद्धि और बुद्धि दे….

 

 

प्रतिष्ठित हो सकूं प्राण से

सत्य को जी सकूं ,

जीवन में नियम संयम

विनय के बीज बो सकूं

इतनी समझ शुद्धि और बुद्धि दे….

 

 

भूत भविष्य की

यादों को पोछ दूं

रह सकूं वर्तमान में

चिंतामुक्त जी सकूं क्षण

इतनी समझ

 शुद्धि और बुद्धि दे…..

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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़