दिया तले अंधेरा क्यों है?
“Darkness under the Lamp”
(Hindi Poetry)
दिया तले अंधेरा क्यों है?
इतना डर इतनी घबराहट
सब भरा भरा सा है बाहर
अंदर इतना खालीपन क्यों है?….
राह मिली, राहगीर मिले
चलने का सब सामान लिए
पग बड़े कुछ दूर चले, तन में मन में
अब ये थकान सी क्यों है?……
जीवन में उत्साह भरे
निकल पड़े थे मस्ती में अपनी
क्या मिला क्या खो दिया था हमने
अब उन बातों को लेकर उदास,
हैरान, परेशान से क्यों हैं?.….
बेहोशी में दिन – रात
यूं ही निकल गए
कितनी सांसे बेवजह चली गई
आंख लगे, कभी आंख खुले
कुछ सपने बुने, कुछ बिखर गए
जब उठे आंख खुली
लुटे लुटे से हम अवाक से क्यों हैं?..….
अब क्या हो सकता है ?
कौन फरिश्ता मिल सकता है?
क्या वो तकदीर बदल सकता है?
फरियाद लिए, पुकार लिए
संकल्प, श्रद्धा और विश्वास किए
मैं खोज रहा हूं प्रिय को अपने में
जीते जी, मरने से पहले मरने में
मुझको अब इतना आनंद सा क्यों है?..
(तुराज)